आपके लिए एक घर

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आदि में परमेश्वर ने पृथ्वी की सृष्टि की। उन्होंने सूर्य, चाँद और तारों, साथ ही साथ पौधों और पशुओं की सृष्टि की। छांठवे दिन, उन्होंने आपने स्वरूप में मनुष्य को बनाया और जीवन की स्वांस उसमें फूकं दिया। यह पहला व्यक्ति आदम था, और उसकी पत्नि का नाम हवा था। परमेश्वर ने सुन्दर वाटिका में उनके लिए एक घर बनाया। परमेश्वर आदम र हवा से प्रेम करता था और वे भी परमेश्वर से प्रेम करते थे। परमेश्वर ने आदम को वाटिका की देखभाल करने की आज्ञा दी थी। परमेश्वर ने उनसे कहा कि वे भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल के अलावा उनके इच्छा के अनुसार कुछ भी खा सकते हैं और यदि उन्होंने आज्ञा न मानी तो उनकी मृत्यु होगी।

एक दिन एक डरावनी बात हुई। जब आदम और हवा ने परमेश्वर की आज्ञा न मानी और वर्जित किए हुए वृक्ष का फल खाया तब उन्होंने पाप किया। वे डर गए और परमेश्वर से छिप गए।

सम्पूर्ण विषय-वस्तु – आपके लिए एक घर

परमेश्वर जानता था कि वे कहाँ छुपे हैं। वह आया और आदम को पुकारा। परमेश्वर ने उससे कहा कि उनकी अनआज्ञाकारिता के कारण उन्हें वह घर अर्थात सुन्दर वाटिका छोड़ के जाना होगा। 

परमेश्वर ने आदम आर हवा को नहीं भुला। वह तब भी उनसे प्रेम करता था। उन्होंने अपने एकलौते पुत्र यीशु को इस संसार में भेजने का वादा किया। यीशु उनके पाप के लिए मरेंगे ताकि वे जीवित रहे! “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से एेसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोइ उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए” (युहन्ना ३:१६)।

यीशु आया! उन्होंने शिक्षा दिया कि सभी ने पाप किया है। पापियों का मृत्यु अनिवार्य है। यीशु ने हमसे इतना प्रेम किया कि उन्होंने परमेश्वर से कहा कि सभी के पाप के लिए वो मरेंगें। जिन्होंने पाप किया है वह उन प्रत्येक के लिए मरा।

शुभ संदेश- यीशु जीवित है। वह कब्र से जी उठा उन्होंने कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता” (यूहन्ना १४:६)। यीशु हमें अपने स्वर्गीय पिता का घर ले जाना चाहता है।

कभी-कभी हम प्रेमहीन अनुभव करते हैं। हमारे आस-पास के लोग दुखी, दर्द या क्रोध में हैं। शायद हम डरे हुए हैं या हृदय में एक चाहत महसूस करते हैं जो कभी छोड़ के नहीं जाता। सोचते हैं कौन हमारी मदद कर सकता हैं और हम क्यों इतना अकेला महसूस करते हैं। परमेश्वर ने उस चाहत को हमारे हृदय की गहराई में डाला है क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है। यह एक महत्वपूर्ण चीज है जो हमें हमारे स्वर्गीय पिता की और खीचंता हैं। परमेश्वर हमारे हृदय के उस चाहत को उसके प्रेम में बदलना चाहता है।

वह चाहता है कि आप आपने हृदय से प्रार्थना करें और कहें, “यीशु मुझे आपकी जरूरत है। मैं अपने पापों से थक चुका हूँ। कृप्या यीशु, मुझे धो के साफ करें और मैं इन घिनौना चिजों से लौट कर आऊँगा।” यीशु आपका सच्चा निवेदन को सुनता है। वह आपको धो के साफ करता और उस घर के लिए तैयार करता है जो वह तैयार कर रहा है।

यीश मसीह का इस पृथ्वी को छोड़ने से पहले उन्होंने कहा, “तुम्हारा मन व्याकुल न हो; परमेश्वर पर विश्वास रखो और मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुम से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ” (यूहन्ना १४:१-२)। वह स्वर्गीय घर एक शांतिपूर्ण जगह है जहाँ अनन्त आनन्द और प्रेम है।

परमेश्वर ने उस घर को बहुत सुन्दर बनाया है कि वह कभी भी किसी तरह की बुराई और पाप को अन्दर आने नहीं देगा।

यदि हमारा हृदय पाप से कलंकित है तो जब हम मरेंगें, यीशु हमें अन्दर आने नहीं देगा। यीशु मसीह के साथ रहना कैसा होगा? वहाँ किसी तरह का दर्द, डर या भूख नहीं रहेगी। किसी भी तरह की बीमारी, मृत्यु या दुःख भरी विदाई नहीं होगा। वहाँ सारे संसार भर का उद्धार पाए हुओं के साथ परमेश्वर की स्तुती और प्रशंसा होगी।

अंत में घर। हमारे उद्दारकर्ता यीशु के साथ स्वर्ग में घर।

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ड्रग्स, शराब और व्यभिचार के विषय में क्या?

शराब  ड्रग्स  अभिलाषा  अपराध  बंदीगृह  निराशा  मृत्यु

क्योंकि पाप की मजदुरी तो मृत्यु है (रोमियों 6:23)

आईये हम वास्तविकता का सामना करें। शराब, ड्रग्स और व्यभिचार जैसे भयंकर दैत्य परमेश्वर का महान और अच्छा सृष्टि पर हमला और उसे नाश कर रहे हैं। एक विशाल आक्टॅपस का स्पर्शक की तरह वे जवान और वृद्ध दोनों को अपनी झपटता और आकर्षित करता है।

एक संक्रामक बिमारी आज के समाज पर बड़े अनुपात में फैला हुआ है। शराब, ड्रग्स और व्यभिचार का श्राप बहुत से लोगों को बिना किसी लंगर के, अनन्त विनाश की और बहका ले गया है। लोग अपने मित्रों के द्वारा साथ ही संवादमाध्यम (मीडिया), पत्रिकाएं, समाचार पत्र और टेलीविजन की विज्ञापन के द्वारा चरित्रहीनता के विषय में सरलता से प्रभावित हुए हैं। मस्तिक में उस विन्दु तक प्रहार हुआ है जहाँ एक संभ्रम और हताशा का भंवर है, जिसका नतीजा आत्मिक और शारीरिक में नष्ट होना है।

ऐसा लज्जाजनक नैतिक व्यवहार के लिए दोषी कौन है? युवा पीढ़ा? शायद नहीं। बहुत से माता-पिता अपने नास्तिक जीविका के द्वारा पाप को स्वीकृति दिए हैं जो उन्हीं के द्वारा युवा पीढ़ी को प्रदान किया जाता है। माता-पिता इससे अंजान हैं कि वे अनैतिक आवेग को नियंत्रण नहीं करने के द्वारा अपने बच्चों को एक शराबी और मादक अशक्ति का सर्वनाश के साथ समाविष्ट कर रहा है। परमेश्वर का नैतिक सिद्धांत को लापरवाही के साथ अनादार किया गया है। एक शक्तिशाली पुकार स्वर्ग की और उठना चाहिए। हम स्वयं को और अपने बच्चों को कैसे बचा सकते हैं?

सम्पूर्ण विषय-वस्तु – ड्रग्स, शराब और व्यभिचार के विषय में क्या?

हमारे घर, स्कूल और कॉलेज ऐसे उत्कृष्ट नागरिक तैयार नहीं कर सकता जो हमारे देश को जरूरत है, जबकि माता-पिताएँ, शिक्षकों और अध्यापकों की शिथिलता के कारण मद्यपान और नशीली पदार्थ (ड्रग्स) का इस्तेमाल को बर्दाशत और प्रोत्साहित किया जाता है। स्कूलों का टूटा हुआ नैतिक स्थिती हमें भयभीत करता है। सिर्फ कुछ ही वर्ष पहले विधार्थियों को निम्न स्तर के नैतिक आचरण व्यवहार करने का अनुमति देने में शिक्षक और अध्यापकों का उदारता के कारण उन्हें बरखास्त किया जाता था।

मादक का इस्तेमाल, आम लोगों का आदर्श को बुरी तरह से भ्रष्ट करता है। विचार, चरित्र और जीवन को नाश करता है। यह मनुष्यों के जीवन में आशीष के लिए दिया हुआ परमेश्वर का पवित्र संस्थापन परिवार को विभाजित और विनाश करता है।

मादक का जोखिम के साथ अवैध शराब के इस्तेमाल में बढ़ोतरी जोड़ा गया है। इन मादकों का बुरा प्रभाव किसी प्रकार के लाभ से भी भारी हानीकारक है। मादक का इस्तेमाल बुरे विचार और मानसिक मनोविकृति का कारण बन सकता है। मादक का इस्तेमाल करने वाले यह स्वीकार करते हैं कि यह एक मानसिक, शारीरिक और आत्मिक मृत्यु यात्रा है। इस मादक आशक्ति का दुःखपूर्ण परिणाम हमेशा मस्तिष्क को क्षति पहुँचाना, हत्या करना और आत्महत्या करना है।

लोग अपने जन्मजात पाप के कारण, तत्परता से उन झुकाव और मनोभाव का अनुगमन करते हैं जो शैतान ने तैयार किया है। इस अवस्था में शरीर अनियंत्रित संतुष्टि की खोज करता है। यौन अनैतिकता कामुकता की आग को नहीं बझा सकता पर यह ईंधन देता है। अवैध यौन सक्रियता कामुकता का समाधान नहीं है जैसे मद्यपान मदात्यय का समाधान नहीं है। सत्य यह है हमें हमारे कामुकता का सामना करना हैं। आत्मा का वह अंश जो अनन्तकाल तक जीवित रहता है, जब परमेश्वर का उद्धार के लिए आगे बढ़ता है, उनकी व्यवस्थाओं को सम्मान करने की खोजी करता है।

व्यभिचार, परस्त्रीगमन, समलिंगरति और पशुओं के साथ यौन सम्पर्क परमेश्वर के वचन में निषिद्ध किया गया है। (लैव्यव्यवस्था १८:२३; गलातियों ५:१९-२१)। अनैतिकता पीड़ा, मर्मभेदी दुःख, शोक संतप्तता, पाप और यौन आनुवंशिक बीमारी लेकर आता है। विशुद्धता स्वतः योग्यता और गरिमा का भाव लाता है। यह कल्पना करना घोर विरूपण है कि उँची विशिष्ट सिद्धांत वाले जब विपत्ति में जी रहे हैं तब निम्न नैतिक व्यक्ति के पास एक परम आनन्द और पूर्णता का जीवन है।

पाप और निर्लज्ज नास्तिकता का आध्यात्मिक अंधापन और अनैतिकता का दलदल के बीच, पवित्र बाइबल नैतिक व्यवहार का स्तर निश्चित करता है। सही और गलत के विषय में यह अविवाद्य और अनन्तकालीन अधिकार है।

मनुष्य जाति का प्रसारण के लिए और पति-पत्नी के बीच विवाह बंधपत्र का संवृद्धि के लिए परमेश्वर ने मनुष्य को यौन प्रवृति के साथ सृष्टि किया। वह इस इच्छा की परिपूर्णता को सिर्फ न्यायपूर्ण विवाह के अन्दर स्वीकृति देता है। (विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह-बिछौना निष्कलंक रहे, क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।) (इब्रानियों १३:४)।

रोमियों के पुस्तक में प्रेरित पौलुस ने समलिंगरति पर परमेश्वर का न्याय के विषय में लिखा है। (इसलिए परमेश्वर ने उन्हें नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया; यहाँ तक कि उनकी स्त्रियों ने भी स्वाभाविक व्यवहार को उससे जो स्वभाव के विरूद्ध है, बदल डाला। वैसे ही पुरूष भी स्त्रियों के साथ स्वाभाविक व्यवहार छोड़कर आपस में कामातुर होकर जलने लगे, और पुरूषों ने पुरूषों के साथ निर्लज्ज काम करके अपने भ्रम का ठीक फल पाया, तो परमेशमवर ने भी उन्हें उनके निकम्मे मन पर छो

ड़ दिया कि वे अनुचित काम करें। वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले मृत्यु के दण्ड के योग्य हैं तौ भी न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं वरन करनेवालों से प्रसन्न भी होते हैं) (रोमियों १:२६-२८, ३२)। यह सदोम और अमोरा का घृणित पाप था और उनपर परमेश्वर का न्याय उतर आता था (उत्पत्ति १९) शास्त्र के अनुसार यदि हम इन पापों में जीते हैं और उसे अभ्यास करते हैं तो पवित्र आत्मा को हमारे हृदय में रखना और मसीही जीवन जीना असम्भव है।

प्रिय पाठक, वास्तव में जीवन में खुश होने के लिए, स्वयं के साथ और परमेश्वर के साथ शान्ति में रहने के लिए, आपको अवश्य उनके साथ सहभागिता में आना होगा। पहचानिये और स्वीकार कीजिए कि आप एक पापी हैं और विश्वास कीजिए की यीशु आपके पापों को वहन कर क्रूस पर मरे। विजय आपका प्रतिक्षा कर रहा है।

जैसे ही आप अपने हृदय को परमेश्वर के लिए खोलेंगे और अपने पापों को स्वीकार करेंगे, वह आपको क्षमा करेगा। (यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है) (१ युहन्ना १:९)।

स्वेच्छा से अपने सम्पूर्ण जीवन को अपने उद्धारकर्त्ता यीशु को समर्पित कीजिए और सच्ची आज्ञाकारिता में उनके वचन और पवित्र आत्मा का अनुगमन कीजिए। शुद्ध विचार एक परिवर्तित जीवन का आशीष है जो हमारे कार्य और क्रियाकलाप में अद्भुत बदलाव लाता है। मसीह आपके जीवन की समस्याओं का सामना करने के लिए साहस देगा और आपके उपर हमला करने वाली परिक्षाओं से विजय पाने की सामर्थ्य देगा। अब यीशु के पास आईये, वह आपको बुला रहा है। (जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; ) (यशायाह ५५:६)।

 

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आपको नए सिरे से जन्म लेना आवश्यक है

यीशु ने कहा कि उद्धार पाने का एकमात्र तरीका नया जन्म है। इसका क्या मतलब है? नया जन्म निम्न में से कुछ नहीं है: बपतिस्मा, चर्च सदस्यता, प्रभू भोज में सह-भागिता, जीवन में सुधार, प्रार्थना, या अच्छे कर्म। नया जन्म हृदय का परिवर्तन है। जब हम अपने पापपूर्ण जीवन से पश्चाताप करते हुए मन फिराकर परमेश्वर के समीप आते हैं तब परमेश्वर हमें नया जन्म देते हैं। परमेश्वर इस बात को देखते हैं कि कब हम नए जन्म के लिए तैयार हैं। जब हमारा नया जन्म होगा तब हमें पता चल जाएगा। हमारे पास स्वतंत्र विवेक, सही करने की इच्छा, और स्वर्ग में एक घर का आश्वासन होगा।

यीशु कहते हैं कि जब तक हम नए सिरे से जन्म नहीं ले लेते, स्वर्ग के द्वारों हमारे लिए बन्द हैं। इस कारण हम पूछें: मित्र, क्या आपका नए सिरे से जन्म हुआ है? कलीसिया के सदस्य, क्या आपका नए सिरे से जन्म हुआ है? यदि नहीं है, तो आप खोए हुए हैं। क्योंकि प्रभु यीशु कहते हैं: “जब तक कोई मनुष्य नए सिरे से न जन्मे, वह परमेश्वर का राज्य वहीं देख सकता” (यूहन्ना ३:३)।

आप पूछ सकते हैं: ‘नए सिरे से जन्म लेना क्या है?’ आज नए जन्म को लेकर बहुत सारी गलत धारणाएं हैं। यह बपतिस्मा नहीं है, क्योंकि कुछ लोगों ने बपतिस्मा पाया, फिर भी उनका नया जन्म नहीं हुआ (प्रेरितों ८:१८-२५)। यह कलीसिया में सदस्य हो जाना नहीं है, क्योंकि सचेत न रहने पर कुछ लोग फिसल गए (गलातियों २:४)। यह प्रभु की मेज पर खाने की बात नहीं है, क्योंकि कुछ ने अनुचित रीति से खाया और इसके खाने से अपने ऊपर दण्ड ले आएं (१ कुरिन्थियों ११:२९)। यह सुधर जाना नहीं और न ही बेहतर तरह से जीने की बात है, “क्योंकि मैं तुमसे कहता हूं, उस द्वार से बहुत लोग प्रवेश करना चाहेंगे और न कर सकेंगे” (लूका १३:२४)। यह प्रार्थना करना भी नहीं है, क्योंकि प्रभु यीशु कहते हैं: “ये लोग ओठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर इनका मन मुझसे दूर रहता है” (मत्ती १५:८)।

कोई ऐसा कह सकता है कि यदि मैं प्रयास करूं और सब कुछ, जैसे गरीबों को दान देना, बीमारों को जाकर देखना और प्रतिदिन अच्छा-से-अच्छा बनकर जीवन जीने की बात कर सकूं, तो निश्चय ही मेरा नया जन्म हो चुका है (मत्ती २५:४१-४५)। नहीं हम वह कदापि नहीं हो सकतें जो हम नहीं हैं: “शरीर पर मन लगाना परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन नहीं और न हो सकता है” (रोमियों ८:७)। हमें मन को बदलने की आवश्यकता है; क्योंकि परमेश्वर भविष्य-वक्ताओं के द्वारा कहते हैं: “मैं तुमको नया मन भी दूंगा” (यहेजकेल ३६:२६)।

सम्पूर्ण विषय-वस्तु – आपको नए सिरे से जन्म लेना आवश्यक है

‘तब यहां नया जन्म क्या है?’ नया जन्म मन परिवर्तन है, जिसमें निज स्वार्थ की सेवकाई से प्रभु की सेवकाई की बात होती है। ऐसा तब होता है, जब हमें अपने पापों के लिए पछतावा होता है और विश्वास के साथ हम क्षमा पाने के लिए प्रभु यीशु की ओर देखते हैं। जब एक बच्चे का जन्म होता है, तो एक नए जीवन का प्रवेश होता है, एक नया मनुष्य देहधारी होता है। इसी प्रकार नए सिरे से हमारा जन्म जब होता है, तो पवित्र आत्मा के प्रवेश करने के पश्चात् यीशु मसीह में पाया जानेवाला नया जीवन हममें समा जाता है। इस कारण इसे नया जन्म ‘यीशु मसीह में नया जीवन’ कहा जाता है। “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करते, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं। वह तुम्हारे विषय में धीरज रखते हैं। वह नहीं चाहते हैं कि कोई भी मनुष्य नष्ट हो, वरन् यह कि सबको मन-फिराव का अवसर मिले” (२ पतरस ३:९)।

‘मैं नए सिरे से जन्म लेने की आकांक्षा कब करूं?’ पवित्र बाइबल कहती है: “यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो मत रूको!” (इब्रानियों ३:७)। इसका अर्थ है कि किसी भी उम्र, समय या स्थान पर यदि आप उसकी पुकार सुनते हैं और उसका उत्तर देते हैं, तो आत्मा के द्वारा आप फिर से जन्म ले सकते हैं।

‘इसमें कितना समय लगेगा? क्या हमें नए जन्म में बढ़ने की आवश्यकता नहीं?’ नहीं, हम परमेश्वर के राज्य में जन्म लेते हैं और वह हमें अपनी सन्तान और अपना उत्तराधिकारी बनाते हैं। “और यदि सन्तान है, तो वारिस भी हैं, वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी-वारिस भी हैं” (रोमियों ८:१७)। यह बात उसी क्षण हो जाती है, जब आप सब कुछ समर्पण करते हैं और प्रभु यीशु के पास क्षमा के लिए आते हैं।

‘कैसे और कब हम इसे प्राप्त करते है?’ परमेश्वर, जो मन को देखते हैं वह आपकी निष्कपटता को भी देखते हैं। वह पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से आपके पास आते हैं और आपके भीतर नए सिरे से स्थिर आत्मा उत्पन्न करते है। (भजन संहिता ५१:१०)। ऐसा आपका जन्म नए सिरे से हो जाता है – विश्वास के द्वारा यीशु मसीह में नया जीवन पाकर आप एक नई सृष्टि हैं (२ कुरिन्थियों ५:१७)।

अन्त में, ‘मैं यह कैसे जान पाऊंगा कि मेरा जन्म फिर से हुआ है?’ प्रेरित पौलुस रोमियों ८:१-१० में सिखाते हैं: “यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं है, तो वह उसका जन नहीं हैं।” पवित्र बाइबल बताती है कि जिनका उद्धार नहीं हुआ है, वे पाप में मरे हुए हैं, दोषी ठहराये हुए है और खराब विवेक रखनेवाले हैं। वे शारिरिक अभिलाषाओं से ग्रस्त, बिना आशा के, आज्ञा उल्लंघन करनेवाले और संसार में बिना परमेश्वर के हैं। किन्तु नए सिरे से जन्म लेनेनाला मसीही परमेश्वर की सन्तान है, यीशु मसीह में जीवित है, उद्धार पाया हुआ है, बिना दण्ड के है और उसके पास हर समय अच्छा विवेक है। वह आत्मिक विचार रखनेवाला, पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण और अनन्त जीवन की आशा रखनेवाला व्यक्ति भी है। उसके पापों यीशु के लोहू के द्वारा धो दिए गया है। उसका मन परमेश्वर के उस प्रेम और शान्ति से भर दिया जाता है, जो समझ से बाहर है। वह प्रभु की इच्छा से प्यार रखता है; वह उसकी इच्छा पूरी होना चाहता है, और उसके पास प्रभु की इच्छा पूर्ण करने की सामर्थ्य भी होती है। वह कब्र के बाद पायी जानेवाली आशा और स्वर्ग में दिए जानेवाले घर की प्रतिज्ञा से आनन्दित होता है। क्या कोई इस प्रकार के परिवर्तन से होकर गुजरे और इसका अहसास तक न कर पाए? ऐसा सम्भव ही नहीं। क्योंकि “पवित्र आत्मा स्वयं हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं (रोमियों ८:१६)।

यदि आपने ऐसा अनुभव, जो आत्मा को शान्ति और आनन्द पहुंचाता है, नहीं किया है, तो आप चुप न बैठें, क्योंकि आप परमेश्वर और अपनी आत्मा के साथ क्षुद्रता कर रहे हैं। आपको नए सिरे से जन्म लेना है।  

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